Saturday 27 August 2016

home remedies for various diseases

कई बीमारियो की घरेलू उपचार

*"प्राचीन स्वास्थ्य दोहावली"*

पानी में गुड डालिए, बीत जाए जब रात!
सुबह छानकर पीजिए, अच्छे हों हालात!!

धनिया की पत्ती मसल, बूंद नैन में डार!
दुखती अँखियां ठीक हों, पल लागे दो-चार!!

ऊर्जा मिलती है बहुत, पिएं गुनगुना नीर!
कब्ज खतम हो पेट की, मिट जाए हर पीर!!


प्रातः काल पानी पिएं, घूंट-घूंट कर आप!
बस दो-तीन गिलास है, हर औषधि का बाप!!

ठंडा पानी पियो मत, करता क्रूर प्रहार!
करे हाजमे का सदा, ये तो बंटाढार!!

भोजन करें धरती पर, अल्थी पल्थी मार!
चबा-चबा कर खाइए, वैद्य न झांकें द्वार!!

प्रातः काल फल रस लो, दुपहर लस्सी-छांस!
सदा रात में दूध पी, सभी रोग का नाश!!

प्रातः- दोपहर लीजिये, जब नियमित आहार!                                                  तीस मिनट की नींद लो, रोग न आवें द्वार!!

भोजन करके रात में, घूमें कदम हजार!
डाक्टर, ओझा, वैद्य का , लुट जाए व्यापार !!

घूट-घूट पानी पियो, रह तनाव से दूर!
एसिडिटी, या मोटापा, होवें चकनाचूर!!

अर्थराइज या हार्निया, अपेंडिक्स का त्रास!
पानी पीजै बैठकर,  कभी न आवें पास!!

रक्तचाप बढने लगे, तब मत सोचो भाय!
सौगंध राम की खाइ के, तुरत छोड दो चाय!!

सुबह खाइये कुवंर-सा, दुपहर यथा नरेश!
भोजन लीजै रात में, जैसे रंक सुरेश!!

देर रात तक जागना, रोगों का जंजाल!
अपच,आंख के रोग सँग, तन भी रहे निढाल^^

दर्द, घाव, फोडा, चुभन, सूजन, चोट पिराइ!
बीस मिनट चुंबक धरौ, पिरवा जाइ हेराइ!!

सत्तर रोगों कोे करे, चूना हमसे दूर!
दूर करे ये बाझपन, सुस्ती अपच हुजूर!!

भोजन करके जोहिए, केवल घंटा डेढ!
पानी इसके बाद पी, ये औषधि का पेड!!

अलसी, तिल, नारियल, घी सरसों का तेल!
यही खाइए नहीं तो, हार्ट समझिए फेल!

पहला स्थान सेंधा नमक, पहाड़ी नमक सु जान!
श्वेत नमक है सागरी, ये है जहर समान!!

अल्यूमिन के पात्र का, करता है जो उपयोग!
आमंत्रित करता सदा, वह अडतालीस रोग!!

फल या मीठा खाइके, तुरत न पीजै नीर!
ये सब छोटी आंत में, बनते विषधर तीर!!

चोकर खाने से सदा, बढती तन की शक्ति!
गेहूँ मोटा पीसिए, दिल में बढे विरक्ति!!

रोज मुलहठी चूसिए, कफ बाहर आ जाय!
बने सुरीला कंठ भी, सबको लगत सुहाय!!

भोजन करके खाइए, सौंफ,  गुड, अजवान!
पत्थर भी पच जायगा, जानै सकल जहान!!

लौकी का रस पीजिए, चोकर युक्त पिसान!
तुलसी, गुड, सेंधा नमक, हृदय रोग निदान!

चैत्र माह में नीम की, पत्ती हर दिन खावे !
ज्वर, डेंगू या मलेरिया, बारह मील भगावे !!

सौ वर्षों तक वह जिए, लेते नाक से सांस!
अल्पकाल जीवें, करें, मुंह से श्वासोच्छ्वास!!

सितम, गर्म जल से कभी, करिये मत स्नान!
घट जाता है आत्मबल, नैनन को नुकसान!!

हृदय रोग से आपको, बचना है श्रीमान!
सुरा, चाय या कोल्ड्रिंक, का मत करिए पान!!

अगर नहावें गरम जल, तन-मन हो कमजोर!
नयन ज्योति कमजोर हो, शक्ति घटे चहुंओर!!

तुलसी का पत्ता करें, यदि हरदम उपयोग!
मिट जाते हर उम्र में,तन में सारे रोग। 🌸

*कृपया इस जानकारी को जरूर आगे बढ़ाएं*

Tuesday 23 August 2016

how to keep eyes healthy at home in hindi

आँखों का घर पर ख्याल कैसे रखे

आँखे हमारी सबसे बड़ी सहायक और प्राकृतिक उपहार है । इनके स्वस्थ होने के कारण ही हम दुनिया देख सकते है समझ सकते है और लोगो को समझा भी सकते है ।

पर क्या ये प्राकृतिक उपहार सदा स्वस्थ रह सकता है । हा ये रह सकता है अगर हम इसका सही से ख्याल रखे जौसे इसको धूल मिटटी धुएं और एनी प्रदूषण से दूर रखे खाने पिने का ध्यान रखे सही से नींद ले ।

मगर क्या ये सब कर सकते है हा जी हमे अगर आँखों को स्वस्थ रखना है तो ये सब करना ही पड़ेगा । आँखों का ध्यान रखने की शुरुबाट शाम को सोने से पहले तक और सुबह जागने के बाद से ही शुरू हो जाती है ।

सुबह उठने के बाद सबसे पहले 1 गिलास पानी पिये और अपनी आँखों को स्वछ और ठन्डे पानी दे धोये इससे रात भर का जमा कचरा भी निकल जाता और आँखों को ताजगी भी मिलती है ।

शौच के बाद कुछ देर खुली हवा में नंगे पैर घर से बहार निकल कर टहले इससे भी आँखों को ऊर्जा मिलती है तथा स्पुर्थि भी मिलती है ।

भोजन में कोशिश करे की कुछ पत्तेदार सब्जिया और फलो को भी ले इनमे आँखों के लिए जरुरी पोषक तत्व होते है ।


दिन में अगर कम्प्यूटर पर काम करते हो तो 1 घण्टे के बाद अपनी आँखों को साफ पानी से जरूर धो लिया करे इससे आँखों में नई ऊर्जा का संचार होता रहता है ।

ज्यादा से ज्यादा पानी पिया करे ये अपनी आँखों को नम रखती है जिससे हमारी आँखे सूखती नही है और सदा ऊर्जावान बनी रहती है ।

रात को सोने से पहले ठन्डे पानी आँख धो कर ही सोये और हो सके तो सरसो का तेल पैर के तलवो में लगा कर सोये यहाँ से विटामिन E सीधा आँखों को मिलता है ।

Wednesday 3 August 2016

why women having less sexual desire

महिलाओं में सम्भोग की इक्षा का अभाव क्यों होता है

आम तौर और हम फिल्मो में देखते है की नायक ही नायिका के पीछे पड़ा रहता है और नायिका अपनी जीवन शेली में खूश है । नायक ही पहले प्रणय निवेदन करता है जिसे स्वीकार या अश्वीकर करने का पूर्ण अधिकार नायिका के पाया सुरक्षित होता है । नायक ही नायिका को गोद में उठा कर पलंग तक ले जाता है और उसके पहले नायिका के कई बहाने जैसे की बच्चे जग रहे है । बाबू जी देख लेंगे माजी जग जायेगी इत्यादि इत्यादि ।

पर क्यों होता है ऐसा जबकि आनंद तो दोनों को प्राप्त होता है फिर सिर्फ नायक को ही इसके लिए इतना प्रयत्न क्यों करना पड़ता है । क्यू नही नायिका स्वयं नायक को जगाती है उक्शाति है । क्यों नही वो स्वयम् नायक का हाथ पकड़ पलंग तक ले जाती है ।

इसके बैज्ञानिक कारण कोई नही है सिबाये इसके की नायिका को बचपन से पता होता है की पुरुष इस काम के लिए ज्यादा उतब्ला होता है इतना ज्यादा की रूक नही सकता और महिलाओ को ये बात इतने आत्म विस्वास के साथ भर दी जाती है की कुछ भी हो जाये वो पहल नही करती है एयर 1 बार उनका ये आत्म विस्वास पुस्त हो जाता है तो फिर वो इसका इंटजार करने में विस्वास रखती है और पुरुष को ये अहसास कराती है की हमारा समर्पण है आपके लिए ।

ये नही है की उनकी इक्षा नही होती । होती है और वो आपको उकसाती भी है । कभी किस तरह तो कभी कुछ कह कर पर मन उनका भी होता है जैसे पुरुष का होता है ।

और अगर आपको परीक्षण करने का मन हो तो भी विलम्ब न करे और एक बार कर के देखिये ।